Sunday, 10 April 2022

दौड़ आंचल तेरे जब मैं छुप जाता था

BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN: दौड़ आंचल तेरे जब मैं छुप जाता था: रूपसी थी कभी चांद सी तू खिली ओढ़े घूंघट में तू माथे सूरज लिए नैन करुणा भरे ज्योति जीवन लिए स्वर्ण आभा चमक चांदनी से सजी गोल पृथ्वी झुलाती जह...
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रूपसी थी कभी चांद सी तू खिली
ओढ़े घूंघट में तू माथे सूरज लिए
नैन करुणा भरे ज्योति जीवन लिए
स्वर्ण आभा चमक चांदनी से सजी
गोल पृथ्वी झुलाती जहां नाथती
तेरे अधरों पे खुशियां रही नाचती
घोल मधु तू सरस बोल थी बोलती
नाचते मोर कलियां थी पर खोलती
फूल खिल जाते थे कूजते थे बिहग
माथ मेरे फिराती थी तू तेरा कर
लौट आता था सपनों से ए मां मेरी 
मिलती जन्नत खुशी तेरी आंखों भरी 
दौड़ आंचल तेरे जब मै छुप जाता था
क्या कहूं कितना सारा मै सुख पाता था
मोहिनी मूर्ति ममता की दिल आज भी
क्या कभी भूल सकता है संसार भी
गीत तू साज तू मेरा संगीत भी
शब्द वाणी मेरी पंख परवाज़ भी
नैन तू दृश्य तू शस्त्र भी ढाल भी
जिसने जीवन दिया पालती पोषती
नीर सी क्षीर सी अंग सारे बसी
 आई माई मेरी अम्मा है प्राण सी

सुरेंद्र कुमार शुक्ल भ्रमर 5
प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश, भारत 

Sunday, 31 October 2021

हमारे पूज्य बाबा जी , स्केच

 










हमारे पूज्य बाबा जी का मेरे द्वारा बनाया गया एक स्केच, बाबा जी तीन महीने पहले हम लोगों को छोड़ चले , प्यारे बाबा जी की आत्मा को प्रभु अपने श्री चरणों में स्थान दें।

जय श्री राधे श्याम।



Wednesday, 7 October 2015

ZEST - ज़ेस्ट से मिला पुरस्कार




ड्रामा में भाग लेने के पश्चात मुझे और मेरे मित्र को ज़ेस्ट से मिला पुरस्कार।  आप सब से आशिर्वाद की अपेक्षा है जय माता दी